बेशकीमती, प्रतिबंधित बान के हजारों पेड़ों पर दिनदहाड़े चली माफिया की आरी
सरेआम हुआ ट्रांसपोर्टेशन और भंडारण
विभाग के अधिकारी और कर्मचारी बेखबर
खबरनामा ब्यूरो
सिरमौर जिले के श्री रेणुका जी वन मंडल के तहत प्रतिबंधित बान सहित हजारों पेड़ों पर वनकटुओं की आरी चली है। यहां कफोटा रेंज के अंतर्गत धनाला और छितली गांव के समीप वन माफिया ने बांन के असंख्य पेड़ों को दिनदहाड़े काट दिए। हैरानी की बात है कि वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारी इस मामले की जानकारी होने से भी इंकार कर रहे हैं। जबकि माफिया विभाग के नाक तले अपना खेल खेल चुका है।
पहाड़ों की बेशकीमती वन संपदा पर वन माफिया की काली नजर पड़ गई है। बेखौफ माफिया सरकार और न्यायालय के आदेशों को ठेंगा दिखाकर दिन-रात वन संपदा को लूटने में लगा है। कफोटा रेंज के तहत धनला और छितली गांव के समीप दिनदहाड़े बेशकीमती और प्रदेश सरकार द्वारा प्रतिबंधित बान के हरे पेड़ों पर माफिया की आरी चली है। दिनदहाड़े ही सैकड़ों क्विंटल हरि लकड़ी की तस्करी भी हुई है। स्थानीय लोग इतने बड़े स्तर पर अवैध कटान को लेकर हैरान है। जानकारों का मानना है कि इस क्षेत्र से बान सहित अन्य किस्म के हजारों पेड़ काटे गए हैं। प्रतिबंधित पेड़ों के अवैध कटान का यह खेल किस स्तर पर चल रहा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां एक बड़े क्षेत्र से दिन के उजाले में हरे पेड़ काटे जा रहे हैं और विभाग के अधिकारी इसकी जानकारी होने से इनकार कर रहे हैं।
इस क्षेत्र में तैनात वनरक्षक, वन क्षेत्राधिकार और जिला अरण्यपाल से इस संबंध में बात की गई। सभी ने यहां बान के पेड़ों के कटान की जानकारी होने से साफ इनकार किया। अरण्य पाल वीके बाबू ने बताया कि इस क्षेत्र में पेड़ों के कटान की किसी किस्म की कोई अनुमति नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बान के पेड़ों को काटने में पूर्ण प्रतिबंध है। इन पेड़ों के कटान का सवाल ही पैदा नहीं होता है।
बताते हैं चलें कि हिमाचल प्रदेश सरकार में बान सहित कई अन्य प्रकार के पेड़ों के कटान और परिवहन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है। इस बात की पुष्टि अरण्यपाल भी कर रहे हैं फिर सवाल यह उठता है कि इस क्षेत्र में वन माफिया ने किसकी शह पर इतनी बड़ी मात्रा में पेड़ काटे हैं और उनका परिवहन और भंडारण कैसे और कहां हुआ है।
हजारों पेड़ों को काटने के इस मामले में चुटभैया राजनेताओं और वन विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि राजनीतिक बरदहस्त और संबंधित विभाग की मिलीभगत के बिना इतने बड़े स्तर पर अवैध कटान संभव ही नहीं है।
वन विभाग के बड़े अधिकारी भी इतने बड़े स्तर पर बांन के पेड़ों के कटान की सूचना से हैरान है। अरण्य पाल वी के बाबू ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जांच किसी सिरे चढ़ती है या ऊपरी दबाव डालकर जांच को भी दबा दिया जाता है।